बचपन में सुना करता था ये गीत अपने शहर में. अकसर बाज़ार आते जाते किसी न किसी पान-दुकान से लगे बांस के उंचे खंभे पर टंगे लाउड स्पीकर से ये गीत सुनने को मिल ही जाया करती थी. लीजिए वीडियो के साथ पेश है आपके लिए. यूं ही यूट्यूब पर मिल गया टहलते हुए.
राकेश जी बड़ी सुखद बात है की में उस क्षण का साक्षी बना,जब "नागिनिया अंगुरी में डांस रही थी ". ऐसे ही लगे रहिए और अपनी क्षमता को लगाये रहिए,शुभकामनाएं आलोक सिंह "साहिल"
राकेश जी बड़ी सुखद बात है की में उस क्षण का साक्षी बना,जब "नागिनिया अंगुरी में डांस रही थी ".
ReplyDeleteऐसे ही लगे रहिए और अपनी क्षमता को लगाये रहिए,शुभकामनाएं
आलोक सिंह "साहिल"
apne pass to koi jugaad hi nahi hai ki suna-samjha jaayae.
ReplyDeleteगाने की याद दिलाकर आपने मेरी दिलचस्पी बढा दी. इसके लिये आभार लेकिन माफ़ कीजिये यहाँ जो वर्ज़न आपने जारी किया है वो पिलाट्टिक का है .
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