17.12.08

आडवाणीजी और अनलॉफुल ऐक्‍िविटिज़ (प्रिवेंशन) अमेंडमेंट बिल 2008

लोकसभा चैनल पर चर्चा देख रहा हूं. थोड़ी देर पहले गृह मंत्री पी चितंबरम महोदय ने 'नेशनल इंवेस्टिगेटिंग एजेंसी बिल 2008 ऐंड अनलॉफुल ऐक्टिविटिज़ (प्रिवेंशन) अमेंडमेंट बिल 2008 पेश किया था और दोनों ही प्रस्‍तावित कानूनों के महत्त्वपूर्ण बिंदुओं को सदन के सामने रेखांकित किया था. उसके बाद सदन के अध्‍यक्ष ने विपक्ष के नेता लालकृष्‍ण आडवाणी को इस प्रस्‍ताव पर चर्चा आगे बढ़ाने के लिए आमंत्रित किया. आडवाणीजी 20 मिनट से ज्यादा बोल चुके हैं लेकिन अब तक गृह मंत्री द्वारा पेश किए गए बिल से अपनी 'सैद्धांतिक सहमति' जताने के अलावा कुछ नहीं बोला है उन्‍होंने. 20-25 मिनट से पकाए जा रहे हैं. कहे जा रहे हैं कि किस तरह दस साल पहले ही उन्‍होंने आतंकवाद से निपटने के रास्‍ते ढूंढ लिया था. उन्‍होंने मौजूदा सरकार को दृष्टिहीन बताया, ये भी बताया कि सरकार की निंद देर से खुली है. पता नहीं क्‍या-क्‍या बोला आडवाणीजी ने. सुनकर किसी भी क्षण ऐसा नहीं लगा कि उनकी किसी भी बात से कोई संदेश मिलेगा इस देश को. कितने स्‍वार्थी हैं आडवाणीजी. जो बोलते हैं वोट की दृष्टि से ही बोलते हैं. पता है कि देश के लोग देख रहे हैं, अच्‍छा मौक़ा है रिझाने का; सो रिझाने लगे.
गृहमंत्री द्वारा पेश किए गए दोनों विधेयकों में क्या-क्‍या है या होगा: अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं है. इससे पहले भी आते रहे हैं ऐसे विधेयक, बनते रहे हैं क़ानून और इक्‍के-दुक्‍के मामलों को छोड़कर कमज़ोर लोगों पर इन क़ानूनों के तहत अत्‍याचार किया जाता रहा है. मतलब ये कि थोड़ा घटा-बढा कर फिर कोई टाडा या पोटा आ जाएगा जिसे अख़बार और टेलीविज़न वाले बता देंगे. अन्‍यथा कई अन्‍य स्रोतों से पता चल जाएगा. हम विश्‍लेषण कर लेंगे कि दोनों विधेयकों में आतंकवाद को रोकने की कूवत है या नहीं, कहीं ये विधेयक हमारे बुनियानी आजादी तो नहीं छीन लेंगे, या किसी धर्म, जाति, रंग या किसी अन्‍य मसलों से प्रेरित तो नहीं हैं ये विधेयक, आदि-आदि. पर आडवाणीजी ने जो कहा, उनमें इन विधेयकों पर उनकी राय के अलावा अपने आप को आतंकवाद का चैंपियन बताने के अलावा उन्‍होंने कुछ नहीं कहा्. आज आडवाणीजी को सुनकर लगा कि ये आदमी आठ दशक जी लेने के बाद भी बचकानी हरकते ख़ूब करता है. जैसे बच्‍चे झूठ बोलते हैं, गाल बजाते हैं, बात-बात पर अपनी राय और पोजिशन बदलते हैं, चीखने-चिल्‍लाने लगते है, छाव धरते हैं, इतराते हैं, अगराते हैं, डराते हैं, धमकाते हैं, पैर पटकते हैं, नाक-भौं चमकात हैं, आदि-आदि; लालकृष्‍ण आडवाणी को सुनकर लगा कि इनके स्‍वभाव में ये सारे लक्ष्‍ण प्रचूर मात्रा में मौजूद है.
शाम तक शायद ये दोनों विधेयक पारित हो जाएं. मुझ जैसे एक टैक्‍सपेयर को उस वक्‍़त बड़ी खुशी होगी जब इन विधेयकों के क़ानून बन जाने के बाद इनके तहत सबसे पहले आडवाणीजी पर क़ानूनी कार्रवाई की जाएगी. शायद इन क़ानूनों के तहत कार्रवाई के लिए इनके मुक़ाबले का योग्‍य पात्र कम ही मिल पाएगा.
सन् 92 में इन्‍होंने देश भर से नौजवानों को बरगला कर उत्तरप्रदेश के फ़ैज़ाबाद जिले के अयोध्‍या नामक क़सबे में इकट्ठा किया. इस क्रम में जगह-जगह अयोध्‍या पहुंचने वालों की हुड़दंगी कार्रवाइयों से लाखों का नुकसान हुआ. इतना ही नहीं लालकृष्‍ण की अगुवाई में 6 दिसंबर को इन लोगों ने भारतीय पुरातत्त्व के नज़रिए से बेहद महत्त्वपूर्ण इमारत को ढाह दिया दिया. आडवाणीजी के नेतृत्‍व में देश भर में सिर पर केसरिया पट्टी बांधे लोग सरेआम अस्‍त्र-शस्‍त्र लेकर नाचते रहे. न जाने कितनी हत्‍याएं हुईं, कितने घर और अस्‍मत लुटे उस दौरान और उसके बाद; इतिहास के पन्‍नों में दर्ज हैं. क्‍या इतना संगठित अपराध और उसका नेतृत्‍व करना आतंकवादी कार्रवाई नहीं है? अपने हिसाब से तो है. है तो आडवाणीजी फिट पात्र हैं इसके तहत बुक करने के लिए.
ये आडवाणीजी न केवल आतंकवादी हैं, बल्कि शायद देशद्रोही भी हैं. संविधान के मुताबिक़ हमारे देश का नाम भारत और इंडिया है. वैसे तो यहां-वहां बोलते ही रहते हैं लेकिन आज लोक सभा में अपने भाषण के दौरान भी कम से कम एक दर्जन से ज्‍़यादा बार आडवाणीजी ने हिन्‍दुस्‍थान उच्‍चारित करके हमारे देश के संविधान का न केवल उल्‍लंघन किया बल्कि कलंकित भी किया. हमारी ये बदकिस्‍मती है कि जिस सख्‍़श को आतंकवादी और देशद्रोही कार्रवाइयों के लिए सलाखों के पीछे होना चाहिए था आज संसद में बैठकर हमारे लिए क़ानून बना रहा है और कल प्रधानमंत्री बनने का सपना देख रहा है.

16 comments:

  1. बिल्कुल सही कहा मुन्ना, असली आतंकवादी आडवानी है, मासू कसाब और अफज़ल को तो बेकार में ही पकड़ लिया है, चलो अपने एनजीओ के लोगों को इकट्ठा करो और इंडिया गेट पर मानवश्रंखला बनायेंगे, मानवाधिकार के नारे लगायेंगे
    मुझे मालूम था कि आतंकनिरोधी कानून बनने से पहले ही मानवाधिकार और एनजीओ वाले अपने बिलों से निकल आयेंगे और तालियां पीट पीट कर हाय हाय करेंगे, आखिर विदेशी पैसे के टुकड़े इसीलिये तो फैंके जाते हैं

    जननी और जन्मभूमि दोनों को इतना मत थुकाओ, दोनों को तुम्हारे उपर शर्म आती है

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  3. कसाब और अफजल का जो होना होगा हो जाएगा. करने वाले अपना काम कर रहे हैं. वैसे आडवाणी के बारे में अब भी आपकी राय जानना चाहता हूं. कुछ प्रकाश डालेंगे आप प्‍लीज़.

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  4. लेखक शायद विदेशी पैसो पर पलने वाला दिखता है .इसीलिए हिंदुस्तान के नाम से नफरत करता है

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  5. बकवास की भी हद होती है भाई...क्यू अपनी ही माँ और मातृभूमि से इतनी नफरत पाले बैठे हो सर?हो सकता है ऐसी राष्ट्र विरोधी बातों के लिए कही से कुछ पैसा-वैसा मिलता हो आपको....लेकिन इस तरह अपने ही देश के साथ गद्दारी ठीक नहीं भाई...आखिर हिन्दुस्थान लिखने से कौन सा आपका बुरा हो रहा है समझ से पड़े है.....अयोध्या नामक `कसबे` से चिढ है तो रखो..अपने पितृत्व पे शर्मिंदगी है तो ये आपका व्यक्तिगत मामला है...माताजी की रूह भी पाक मे ही चैन पाती हो तो मुबारक आपको...लेकिन एक ही सलाह है के कभी `काबा` नामक कसबे की तरफ रुख करो...औकात हाथ मे ला के रख देंगे आपके मौसेरे भाई....मत बोवो नफरत की फसल मेरे दोस्त...जहां का खा रहे हो वही का बजाओ...गोरी घजनी से लेकर तैमूर तक नानी याद दिलाते रहेंगे....मोहम्मद अफज़ल नहीं आपको अडवानी दोषी नज़र आ रहे हैं...जयचंद की कभी कमी नहीं रहेगी शायद इस देश मे...तर्क ढेर सारे हैं जो दिया जा सकता है लेकिन छोडो...क्या वक़्त बर्बाद करना...आप जैसे लोगों के वाबजूद भी देश कायम रहेगा ऐसा भरोसा है मुझे.

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  6. शुक्रिया मित्र. जिस प्रकार आडवाणी मुद्दे से जान बूझ कर भटक जाते हैं उसी प्रकार उनके अनुयायी व्‍यवहार करते हैं. आतंकवादी कार्रवाइयों के लिए आडवाणीजी पर मुक़दमा चलनी चाहिए, इससे तो सहमत लगते हैं आप. क्‍योंकि मौन सहमति का स्‍वाभाविक संकेत होता है.

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  7. बिल्कुल सहमत हूँ...यदि कोई आरोप हो अडवानी पर तो ज़रूर चलना चाहिए मुकदमा...लेकिन आप जैसे लोगों की आत्महीनता ने तबाह करके रखा है भारत को....हर वो कारवाई जो पडोसी देश के लोग करें या जिससे हिंदुत्व कमजोर हो वो आप जैसे लोगों के लिए अच्छी बात हो जाती है...लेकिन जिसमे २-२०० लोग एक साथ मारे जाए उसमे चिल-कौवों की तरह आपक लाशो मे से भी अपने मतलब की लाश को ही देखना चाहते हैं....अब कंप्यूटर की सीमा होती है..क्या बहस किया जाए..और कोई आप जैसे लोग कुछ मानेंगे ऐसी उम्मीद भी रखना व्यर्थ ही है...चलिए कीजिये...खाइए अपने ही देश को.

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  8. “What an Idea Sirji”
    I am really impressed with your writing!!!!!!!!!!!!,
    Whaaaaa!!!!!!!proudly we can say, we got an intellectual like you. Sir, please provide us further list of terrorists, sir, really you are “Great”.

    Interestingly Sir, TV channels of The Great Pakistan were also sounding like you.

    Sir, we came to know from your post that “one anti nationalist addressed India as Hinduisthan” its really painful. Sir he should not do so. sir, please let us know what should we say? sir, if you permit us can we call India as “Pakistan”.

    Sir I think Mr. Kasab should be awarded with “ Paramveer Chakra” and Mr. Afzal should be the prime minister of India, he can secure our parliament in a better way. Cabinet should consist of the great nationalist Mr. Dawood , Mr. Hamid gul, , LeT chief Mr. Hafeez Saeed etc.

    I think you should also join the cabinet or can act as an advisor in association of Mr. Javed Akhtar, Shabana Azmi, Rajdeep Sirdesai and Mr A.R Antule.

    Ohhh sir we have forgotten the post of president what do you say about Mr. Osama” he is really a gr8 man, who is fighting for human rights since long.

    Sir really this Idea can change “Your Life”.

    But Sir please accept one humble wish from me – Sir Please, Please Get Well Soon”.
    And at last but not least
    “App jaise Maha Puroosh ko Jadoo ki Zappi”

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  9. puttu ke paapaa jee...q apnee khoon jalaa rahe ho dost...in abhaago ko apne haal pe chhod do...ye sab kunthit log hai jo apnee bhadaas nikaalte rehte hainn...jitnee ho sake in logon kee upekchha karte rahiye..aur kiyaa kyaa jaa sakta hai....sab apne hee desh ko noch khaane wale chil-koue hai....jaane dijiye..FIR BHEE RAHA HAI BAAKEE ..NAAMO NISHA HAMAARA.

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  10. शुक्रिया विवेक भाई आपकी चिंतनशील प्रतिक्रिया के लिए. इतनी तंगसोची! भाई कसब, अफ़ज़ल, अज़हर, ओसामा, जवाहरी .... और तोगडिया, सिंघल, आडवाणी, जोशी ... एक ही सिक्‍के के दो पहलू जान पड़ते हैं. पहले वाले इस्‍लाम के नाम पर और बाद वाले हिंदुत्‍व के नाम पर. आप कुछ नयी बात निकाल कर ला सकें तो बेहतर. और jay नामक अदृश्‍य मित्र तो बेचारे बड़े उतावले हैं. दुआ करता हूं जीवन में सफलता ज़रूर मिले इन्‍हें.

    मेरी ही बात आप दुहरा रहे हैं बस भाषा थोड़ी अलग है. वही तो मैं कह रहा हूं कि आडवाणीजी ने जो काम किया है उसी का इनाम उनको मिलना चाहिए, उनका हक़ मत छीनिए.

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  11. ये आतंकवादी नहीं है भाई! समझते ही नहीं। ये प्रेरक हैं।

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  12. बेहद बकवास व पूर्वाग्रह पूर्ण लेख, पढ़ कर ही समझ में आ जाता है कि इस समय आप किसको बिके हुये हैं. और जहां तक आडवाणी के बारे में ख्याल का सवाल है... भाई वो राष्ट्रवादी है, और तुम देशद्रोही

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  13. भईया ऐसा सख्‍त न लिखो आडवाणी के चेले और उनका पालतू मीडिया खफा हो जायेगा । ऊपर कुछ उदाहरण नजर आ ही रहे हैं, नवभारत टाइम्‍स दिल्‍ली की टिप्‍पणीयों पर भी गौर फरमा लें । उसने तो हेडिंग ही वेटिंग इन पी.एम. की मक्‍खनमारी में चिपका दी है । भईया काने से कानो मत कहो कानो जागो रूठ । धीरें धीरें पूछ लेउ तेरी कैंसें गई है फूट ।। जो आदमी खुद पाकिस्‍तान की पैदायश है, जिन्‍ना की मजार पर माथा पटकता है, अक्षरधाम पर हमला करवाता है, भारतीय संसद पर हमला करवाता है और फिर दावा करता है कि वह आतंकवाद का स्‍पेशलिस्‍ट है, राम मन्दिर के नाम पर हजारों हिन्‍दूओं को मरवा डालता है, और पठ्ठा राम जी के नाम पर गद्दी हथिया कर राम को लात मार बिसरा देता है वह कब से भारतवासी या देशभक्‍त हो गया । कब कब मारी मेंढ़कीं, चेले तीरन्‍दाज । न ससुरा आजादी की लड़ाई में नजर आये न भारत की सीमा पर कभी शहादत दी । धर के कागजी मुंहफट बकबक शेर हैं । मौसम बेमौसम मेंढुक मानिन्‍द टर्राते हैं । लोकसभा चुनाव आ रहा है, सो प्राइम मिनिस्‍ट्री के लिये फड़फड़ा रहे हैं । इनके मुताबिक आतंकवादी किसी एक जाति विशेष या सम्‍प्रदाय विशेष की बपौती है । खैर इन्‍हें क्‍या कहिये ये उनके चेले हैं चमचागिरी उनकी फितरत है बड़ी शिद्दत से भटे पर मुकुट चढ़ाते हैं । इनसे पूछो अटल बिहारी में क्‍या ऐब था सो उन्‍हें रिटायर कर डाला । इनसे पूछो कि मुम्‍बई काण्‍ड में वे ही ए.टी.एस. वाले क्‍यों मारे गये जो इनके बखिये उधेड़ उजागर कर रहे थे । इनके लिये रफी साहब का नगमा है - क्‍या मिलिये ऐसे लोगों से जिनकी फितरत छिपी रहे । नकली चेहरा सामने आये असली सूरत छिपी रहे ।।

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  14. हिन्दुस्तानी जी आप अपना नाम बदल लीजिये, इन ब्लागरश्री का कहना है कि हम इंडिया में रहते हैं और इसे हिन्दुस्तान कहना संविधान का उल्लंघन करना और कंलकित करना है अभी तो शुरूआत भर है..., थोड़े दिनों में ये लोग अपने अपने बिलों से निकल कर कसाब और अफज़ल के लिये बधाई गाना शुरू कर देंगे

    और आप इन्हें देशद्रोही क्यों कहते हैं? ये तो साफ साफ पेट का मामला है. पढ़ लीजिये कि "टीबी का मरीज़ हो गया. इलाज मां-बाप ने करवाया. लौटकर अनुवाद आज़माया. जुगाड़ ठीक न था. कमरे का किराया निकालना मुश्किल हुआ". पेट के लिये तो हर तरह का पाप करना पड़ता है. कुत्ता भी तो उसी के आगे पूंछ हिलाता है जो उसे रोटी डालता है...

    ब्लागरॉल देखिये ब्लागिंग तो इनके लिये चरागाह ही है...

    राकेश भाई, आप तो अपना भोंपू चालू रखिये, हम आपकी दिक्कतें समझते हैं.... वो गाना था कंपनी फिल्म का कि "गंदा है पर धंधा है ये". धंधे के लिये तो इंसान अपनी अस्मत बेच देता है... आप तो बस देश ही बेच रहे हैं, की फर्क पैंदा है? और आप सबसे पहले और अकेले थोड़े ही है,... बहुत से लोग हैं यहां. जब इतने सारों लको झेल रहें हैं तो आपको भी झेल लेंगे....

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  15. चिटठा चर्च पर प्रसून का गुस्सा देख कर आया तो बड़े क्रोध में था , पर यहाँ आने पर पाया की नav जवान ख़ुद ही ,
    "ट्रेकिंग श .uu.....'' लेकर जुटी है ,तो मानना पड़ा कि ये पीढ़ी वाकई जिम्मेदार हो चुकी है ,| किसी का मूल्यांकन करने को कई उम्रें कम होती हैं | अभी वे सक्रिय है .. अभी तो उनका मूल्यांकन उनके सहयोगियों को उनके समकालिकों को करनेदें | नही जनता कि आप कि प्रतिक्रया उस समय क्या थी ,जब इन्ही अडवानी ने बी जे पी को जिन्ना की मजार पर जा कर संदेश दिया की पाकिस्तान आज एक सत्य है यहाँ तक की इसके लिए अपनी पार्टी तक में ज़लालत झेलनी पड़ी| मुझे आशा तो नही है की उस समय आप ने अडवानी का प्रशस्ति गान किया होगा ? अडवानी ने केन्द्रीय सत्ता यानि कांग्रेस नीत कोकेंद्रिय जांच एजेंसी के बनाने ,आतंक वाद के विरुद्ध कानून बने के लिए देश हित में समर्थन देने का वचन दिया था नाकि अपनी पार्टी का विलय सत्तारुढ़ पार्टी में विलय का | प्रतीक्षा करें तीन दिन यानी कल से परसों तक पुनःटिप्पणी
    करने आऊंगा तभी आप की राष्ट्रिय प्रतिबधता का पता लगेगा |

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  16. Muafi chahoonga, bhai. Pata hai apke man mein kitna dard aur akrosh hai. Har cheez ko lekar dard hai. Lekin apke Adwaniji ke bare mein vichar me kuchh naya nahi hai. Ap to pata nahi kis videshi NGO ka pais lekar likh rahe hain, jaisa ki hamare kitne he mitro ne likha hai. Main baat ko kuchh aur age le jana chahta hoon. Taki ap par ho rahe waron ko apne par le sakoon.
    Apto jante hi honge kis tarah Merath mein ek ladki ke saath durvyabhar kiya gaya aur hamare tatkaleen Pradhan Mantri Bhishma Pitamah ki tarah dekhte rahe the.
    bura mat mane, ham apne gharon mein inhen dekh rahe hain, bhugat rahe hain. Ye sach hai itihaas ka ki hindu aur musalman dono ek doosre ko chahe anchahe sahne ke liye majboor hain. Aur aam janta milkar rahne ki ek vyapak sanskriti ka nirman kar chuki hai. Jo itihas ne banaya hai, use ye sudharne chale hain. Bade bechare hain, nasamjhi ke mare hain. Ye apko kahte hain ki videshi paisa khate hain, aur khud se nahi poochte ki arbon rupaye ye janta ko larwane ke liye kahan se laate hain. Kahan se Praveen Togadiya achanak akar Trishool ki factory chalane lagta hai. Kahan se inke gurge nirdosh bachhon ko jala kar mar dalte hain, nireeh nun s balatkar karte hain. Ye inka paurush apne Dharm ko bachane ka! Manavta ki hatya karte hain aur Dharm bach jata hai. Pata nahi kaun sa Dharm hai inka. Hindu to ham bhi hain aur inse zyada garva se kah sakte hain ki ham Hindu hain. Hazaron lakhon saalon se Hindu Dharm agar bacha raha hai to inke jaise kayaron aur atyachariyon ke balboote par nahi balki karoron karor dharmapran hinduon ke bal par. Jo andhwishasi bhale ho, atyachari nahi. Jo swayam ko bacha kar apna Dharma bachata hai,apna bhagwan bacha leta hai.Ye jo swartha aur atmamoh ke mare hain inko aap aur kya kar sakte hain. Jo itihas ke nam par itna hi jante hain ki Hindu Dharma is desh ka dharma tha aur videshiyon ne use kabhi bhrashta kiya tha, isliye ye aaj uska badla lenge aur bas badal jayega itihas! Kya likhoon aur kitna likhoon? Ye bechare to atankiyon ke dar se gharon me dubke rahte hain aur nirih padriyon aur nun ko jinda jala kar dharma ki raksha karte hain. Jai Sri Ram!

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